हम ने तेरे दिल में
मक़ाम कर लिया
बता पता कैसे तेरा नाम कर लिया
प्रेम किया सच्चा
नहीं की है दिल्लगी
फ़क़त तेरे लिए
सुबह-शाम कर लिया
तेरी नज़र मेरी नज़र यूँ
जो मिल गयी
भावना की रेल दिल तक चली गयी
फिर साफ़-साफ इक दूजे
को दिख गया
मेरी तुझमें तेरी मुझमें जान आ गयी
जब हो ही गया प्यार फिर है खुला
इक़रार
कोई कहे कुछ भी सच तो है हमें प्यार
नया है जमाना खुला
खुला कोर्ट का दरबार
नियम से निबाहेंगे प्यार में तकरार
प्यार बढ़ेगा तो फिर परिवार
बढ़ेगा
खर्चों का जानम
फिर आसार बढ़ेगा
मिलकर चलाएंगे हम प्रेम की गाड़ी
देख लेंगे जो
थोड़ा
उधार
बढ़ेगा
सोच लिया इतना
किया नहीं कुछ
बढ़े मामला इससे
पहलें करें कुछ
प्यार में जानम थोड़ा
धन भी चाहिए
सात फेरों से पहले
काम कर लें कुछ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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