यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 2 सितंबर 2018

हाथ का मैल पैसा


न उसका आदर करना, उसी की चाह करना
हाथ का मैल पैसा , उसी  पैसे  पर  मरना
पैसे की  ख़ातिर सारी जद्दोजहद , पैंतरेबाज़ी
फिर कहें यार वे बोलें कि क्या,पैसे पर मरना

आना जाना है पैसा,रिश्तों का दुश्मन पैसा
चाहे जैसे हो कैसा,मगर फिर चाहिए पैसा
पैसा  है  दोस्त  बड़ा , पैसा रिश्ता नाता
बना  देता है अच्छा , बिगड़े हालात पैसा

न पैसा हो , बदल जाती,  निगाहें रिश्तों की
न हो पैसा तो लगती है,जिन्दगी किस्तों की
चाहिए पैसा तो , पैसों को भी सम्मान देना
करो वन्दन रमा पर भी लिखे हुए पृष्ठों की

पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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