न उसका आदर
करना, उसी की चाह करना
हाथ का मैल पैसा , उसी
पैसे पर मरना
पैसे की ख़ातिर सारी
जद्दोजहद , पैंतरेबाज़ी
फिर कहें यार वे बोलें कि क्या,पैसे पर मरना
आना जाना है पैसा,रिश्तों
का दुश्मन पैसा
चाहे जैसे हो कैसा,मगर
फिर चाहिए पैसा
पैसा है दोस्त
बड़ा , पैसा रिश्ता नाता
बना देता है अच्छा , बिगड़े हालात पैसा
न पैसा हो , बदल
जाती, निगाहें रिश्तों की
न हो पैसा तो लगती
है,जिन्दगी किस्तों की
चाहिए पैसा तो , पैसों
को भी सम्मान देना
करो वन्दन रमा पर भी
लिखे हुए पृष्ठों की
पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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