यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 12 सितंबर 2018

गणेश जी को मोदक है क्यों प्रिय- मोदक महात्म्य



 मित्रों गणेशोत्सव आरम्भ हो चुका है. गणेश जी की अनेक आकर्षक मूर्तियाँ और झाँकियाँ देखने को मिल रही हैं किन्तु जो सब में समान है वह उनके एक हाथ में या उनके पास थाल में रखे मोदक अर्थात लड्डू. आखिर गणेश जी को मोदक इतने प्रिय क्यों हैं. मित्रों इसकी कहानी बहुत ही रोचक है. एक बार देवताओं ने प्रसन्न होकर एक अमरत्व एवं अनेक गुणों प्रदान करने वाला मोदक पार्वती जी को भेंट किया. उस समय पार्वती माता के दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय उपस्थित थे. देवताओं द्वारा उसके गुणों का वर्णन सुनकर दोनों उसे सूँघने और खाने के लिए लालायित हो उठे. देवताओं ने बताया कि इस मोदक को खाने वाला सम्पूर्ण शास्त्रों का मर्मज्ञ,सब तंत्रों में प्रवीण, लेखक, चित्रकार, विद्वता,ज्ञान - विज्ञान को जानने वाला सर्वज्ञ हो जाएगा.यह सुनकर गणेश और कार्तिकेय दोनों उस मोदक को खाने की हठ करने लगे. ऐसे में पार्वती जी ने शिव जी से मंत्रणा कर कर उपाय निकाला. पार्वती जी ने दोनों पुत्रों से कहा- तुम दोनों में से धर्माचरण के द्वारा जो श्रेष्ठता सिद्ध करेगा उसे ही यह मोदक मिलेगा. यह सुनकर बुद्धिमान कार्तिकेय जी तुरंत अपने मोर पर सवार होकर तीनों लोकों के तीर्थो के दर्शन के लिए चल पड़े और मुहूर्त भर में सभी तीर्थों में स्नानादि कर लौट आये. दूसरी ओर गणेश जी उनसे भी बुद्धिमान निकले. वे माता - पिता की परिक्रमा करके सामने आकर खड़े गये. कार्तिकेय जी ने माता से कहा-  मुझे मोदक दीजिये. तब पार्वती जी दोनों पुत्रों को देखकर बोली- सैकड़ों तीर्थों में किया स्नान, सभी देवों को किया नमस्कार, सब यज्ञों का अनुष्ठान, सब प्रकार के व्रत, तप, मन्त्र, योग आदि संयम पालन के साधन मिलकर भी माता-पिता के पूजन के सोलहवें अंश के बराबर भी नहीं होते. इसलिए इस मोदक के अधिकारी गणेश हैं और इन्हें ही मिलेगा.इस प्रकार वो विशेष गुणों वाला मोदक गणेश जी को प्राप्त हुआ. अब तो आप समझ ही गये होंगे गणेश जो को मोदक क्यों पसंद हैं. यह कथा पद्म पुराण के श्रृष्टि खंड में है. जिसमें पुलस्त्य ऋषि भीष्म जी को गणेश जी और मोदक की कथा सुनाते हैं. 

पवन तिवारी 
संवाद - ७७१८०८०९७८ 
अणुडाक- poetpawan50@gmail.com   

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