गीत पीड़ा का स्वर
गीत अनुराग का
गीत पूजा का स्वर ,
गीत श्रृंगार का
गीत तो हर व्यथा की महौषधि भी है
गीत माध्यम है ,
अनचाहे संवाद का
गीत सम्वेदना , लोक के रीति की
गीत साहित्य,जीवन के
हर प्रीति की
गीत ही आदमी
को रखे आदमी
प्रेम ही मूल है गीत के नीति की
गीत बिन ज़िन्दगी ,
ज़िन्दगी ना रहें
गीत बिन गेयता, छन्द
भी ना रहे
गीत ने ही , सँवारा है संगीत को
गीत बिन हम तो क्या
देवता ना रहे
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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