अपनी उदासियों
से मैंने दोस्ती की है
क्या करूँ जब दोस्तों नें दुश्मनी की है
होता जो
कोई ग़ैर तो ज़वाब देते हम
क्या करें जब दोस्तों ने दिल्लगी की है
फ़ासले भी सिमटे खुद मजबूरियों को देखकर
कुछ ने झूठी शान में आवारगी की है
जो उजालों की हिमायत में किये तक़रीर थे
ऐसों ने ही दिए बुझाकर तीरगी की है
वो बड़ा होता है जो अपने समय पर काम दे
छोटे दीपक ने ही घर में रोशनी की है
पवन तिवारी
सम्पर्क- ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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