यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

रिश्ता है बाप बेटे का

रिश्ता है बाप बेटे का नाज़ुक बहुत
कैसे निभे इक हाट, दूजा बाज़ार है

हम सोंचते हैं दिल से वो दिमाग से
कैसे निभेगा प्यार जहां कारोबार है

हो शरीर रुग्ण तो उसका इलाज़ है
उसका करें क्या जो मन से बीमार है

हो भरा गुबार, खाए खार बैठा हो
बना दे यार, प्यार ऐसा औज़ार है

घूमा खूब टटोला जग को एक बात बस हाथ लगी
जेब हो हल्की, बिना बात भी,सारा जग नाराज़ है

सुनता नहीं था, एक बात मतलब की कर दी हमने
रुसवा हो पूछा हमने फिर बोला सब बकवास है  

सरकारी बाबू से पूछा जी अब कब - कब अवकाश है
जेब तुम्हारी जिस दिन हल्की बस उस दिन अवकाश है


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com  

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