इधर कई दिनों से
भविष्य के बारे में
सोच रहा था गंभीरता
से कि
तभी सामने से आता
दिखा विशालकाय भविष्य
मैं कर गया उसमें
प्रवेश, मैंने देखा
आज से बिल्कुल ,पूरी
तरह अलग
पर वर्तमान को भोगते
हुए
भविष्य के बदलाव को देखकर
नहीं हुआ अधिक
आश्चर्य
हाँ, मन चिंतित
अवश्य हो गया
भविष्य में मेरी
उत्सुकता
मनुष्य से मिलने की
हुई
पर मनुष्य कहीं नहीं
दिखा
बस रोबोट ही रोबोट
नजर आये
बड़े यत्नों,
प्रयत्नों के बाद जान पाया
उन रोबोटों के अंदर
कुछ मनुष्य भी थे
पर हाँ सिर्फ तस्सली
को
वे मनुष्य भी
रोबोटों जैसे किये थे धारण वस्त्र
ताकि प्रदूषित
जलवायु,घातक किरणें
नष्ट न कर दें उनकी
त्वचा को
जल न जाएँ विकिरण से
इस लिए धारण किये
हैं कवच
हाँ अब वे हंसते
नहीं, बोलते भी नहीं
अन्यथा शरीर में
प्रवेश कर सकते हैं
जानलेना विषाणु इसलिए
शरीर में लगे यंत्र
साधते हैं संवाद
रोते हुए भी किसी को
नहीं देखा
मेरा प्रिय शब्द ‘मित्र’
हो गया है अर्थ हीन
यहाँ चौपाल,मजमा,अड्डाबाज़ी,महफिल
सब निरर्थक शब्द हो
गये हैं
यंत्रों के माध्यम
से संचरित होते है विचार
समझिये जैसे गोपनीय
कूट शब्द
विज्ञान की प्रगति
के दुष्प्रभाव का परिणाम है
या कमाल भी कह सकते
हैं
मनुष्यता और संवेदना
भविष्य में मर चुके हैं.
शोध करने पर इतिहास
में शायद मिलें
यहाँ मैंने देखा ,
आदमी मशीन की तरह
दिखता और व्यवहार
करता है
मैंने देखा जगह-जगह
छोटी-छोटी
अद्भुत प्रयोगशालाएं
बनी हैं
पता किया तो ज्ञात
हुआ
यहाँ होते हैं
निर्मित आदमी के भ्रूण
जिन्हें होती है
आवश्यकता
बनवाकर ले जाते हैं
यहाँ माता पिता नहीं
होते
खरीददार और गुलाम
होते है
यहाँ अब पति – पत्नी
नहीं होते
विवाह शब्द भविष्य
के लोग नहीं जानते
स्त्रियों एवं
पुरुषों कोई भेद नहीं
वे माँ नहीं बनती,
बच्चे नहीं जनती
वे पूछने पर मेरा
मजाक उड़ाने लगीं
आश्चर्य जताने के
साथ,
बोली किस ग्रह से
आये हो
ये काम प्रयोशालाओं
में होता है
और उन्ही का काम है
.
मैं बोध शून्य हो
गया
यहाँ न अब कोई पिता
होता है
न पुत्र, न बहन, न
जन्मभूमि
जैसी अवधारणा में
विश्वास
शेष रिश्ते
मामा,मौसी,चाची,
यहाँ दूसरे लोक के
शब्द हैं
एक सज्जन ने कहा,
आर्काइव में जाकर
खोजिये
शायद मिल जाएँ.
यहाँ यौन क्रीड़ा या
बलात्कार
जैसे शब्द भी लुप्त
हो गये हैं
इसका क्या मतलब होता
है
भविष्य के लोग नहीं
जानते
ये भी आर्काइव में
शायद मिले
कभी- कभी रोबोट करते
हैं
आपस में यौनिक
क्रिया जैसा
पर पता लगाना
मुश्किल
इसमें रोबोट कौन और
आदमी कौन
या दोनों रोबोट
ऐसा ही स्त्री और
रोबोट में भी
हाँ आदमी की अपेक्षा
रोबोट में कहीं-कहीं
मैंने
देखी है हल्की सी
संवेदना
मनुष्य हो गया है
रोबोट
और रोबोट मनुष्यता
की ओर बढ़ रहा है
मनुष्य, मनुष्य से
आदमी
और आदमी से रोबोट हो
गया
यही मुझे हदप्रद कर गया
और भी बहुत कुछ था
भविष्य में
पर मैंने न देखने का
निश्चय किया
मैं भविष्य से भाग खड़ा
हुआ,
हांफने लगा,कुछ दूर
जाकर रुका
थोड़ी देर तक लेता
रहा लम्बी साँस
और याद आने लगा
एक गोल चक्कर की तरह
मनुष्यता,मित्रता,अड्डेबाजी,माता-पिता,
ढेर से रिश्ते,प्रेम,पत्नी,बच्चे
और
मैं फफक कर रो पड़ा
मैंने संकल्प किया .
अब मैं सिर्फ
वर्तमान में जियूँगा
और सोचूंगा .
इन्हीं विचारों के
मध्य किसी ने झिंझोड़ा
उठिए कार्यालय नहीं
जाना है
निद्रा भंग हुई
सामने शालू जी
मुस्कराते हुए खड़ी थी
ऐसे क्या देख रहे
हैं ,क्या हुआ ?????
पवन तिवारी
सम्पर्क- 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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