यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 नवंबर 2017

और कमाल कि हँसते भी हो

घूमता हूँ खूब
लिखता हूँ खूब
बहस करता हूँ खूब
हंसता हूँ खूब
उत्साह है खूब
जीने की चाह है खूब
जीवन भी है खूब
जीता भी हूँ खूब
अभाव भी है खूब
फिर भी
मस्त हूँ खूब
इस भयावह अभाव में
कैसे जीते हो, जिन्दादिली से
देखकर,सोंचकर
मित्र हैं दंग,कैसे टिके हो
शहर में बिंदास , इस तरह
और कमाल कि हँसते भी हो


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com


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