यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 1 जुलाई 2017

चाहो कितना भी तुम

























चाहो कितना भी तुम, कुछ भी होता नहीं
गर चाहे  न  वो,  कुछ  भी  होता नहीं

सब  की  सब  कोशिशें सारी चालाकियाँ
फेल  हो  जाती  है, कुछ  भी होता नहीं

सारी दुनियाँ एक तरफ,एक तरफ बस वो
उसकी जीत के सिवा कुछ भी होता नहीं

सारी   ताक़त  लगा  लें, झिंझोडे  भले
पत्ता  हिलता  नहीं, कुछ भी होता नहीं

कितनी  शेखी  बघारें  अहं  कर लें हम
उसकी ख्वाहिश बिना कुछ भी होता नहीं

अपनी मर्जी  की कोशिश की मैंने बहुत
औंधें  मुँह मैं  गिरा कुछ भी होता नहीं

ना  ही  जन्में  कोई  ना ही कोई मरे
हो  इशारा  न  तो कुछ भी होता नहीं  

कर  लो  कोई  प्रतिज्ञा  या वादा कोई
उसकी सहमती के बिन कुछ भी होता नहीं

जैसा  वो  चाहता  करते  जाओ ‘पवन’
फिर न डर,कोई गम,कुछ भी होता नहीं 


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
अणुडाक- poetpawan50@gmail.com



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