चाहो कितना भी तुम,
कुछ भी होता नहीं
गर चाहे न वो, कुछ भी होता नहीं
सब की सब कोशिशें
सारी चालाकियाँ
फेल हो जाती है, कुछ भी होता नहीं
सारी दुनियाँ एक
तरफ,एक तरफ बस वो
उसकी जीत के सिवा
कुछ भी होता नहीं
सारी ताक़त लगा लें, झिंझोडे भले
पत्ता हिलता नहीं,
कुछ भी होता नहीं
कितनी शेखी बघारें अहं कर लें हम
उसकी ख्वाहिश बिना कुछ भी होता नहीं
अपनी मर्जी की कोशिश
की मैंने बहुत
औंधें मुँह मैं गिरा कुछ भी होता नहीं
ना ही जन्में कोई ना
ही कोई मरे
हो इशारा न तो कुछ
भी होता नहीं
कर लो कोई प्रतिज्ञा या वादा कोई
उसकी सहमती के बिन
कुछ भी होता नहीं
जैसा वो चाहता करते जाओ ‘पवन’
फिर न डर,कोई गम,कुछ
भी होता नहीं
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
अणुडाक- poetpawan50@gmail.com
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