यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 28 जून 2017

आयेगा बेहिसाब मेरी जान आयेगा.





























येगा मेरी जान बेहिसाब आयेगा.
प्यार लेने जब  इम्तिहान  आएगा

गम न कर तुझसे मिलने ज़रूर आयेगा
दिल अदाओं से भर कर सलाम आयेगा

प्यार में उसको मज़बूर कर देंगे यूँ
देखना लेके दिल का इनाम आयेगा

उसमें है प्यार ही प्यार प्यार आयेगा
मुस्कराते  हुए  मिलने  यार आयेगा

उससे  उसकी  सफाई  नहीं  चाहिए
देखना फिर भी उसका जवाब आएगा

इससे पहले कि कुछ उससे मांगूंगा मैं
है  वो  खुद्दार  देने  हिसाब  आयेगा

‘पवन’ दीवानगी  पे जो  उतरेगा  तो
प्यार का फिर नया इन्कलाब आएगा

पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com

मंगलवार, 27 जून 2017

मरे हुए लोग हैं वो, आप कहते जिंदा हैं

हैं तो करोड़ों मगर कितने लोग जिंदा हैं.

ज़िन्दगी जिंदादिली में चाँद लोग ज़िंदा हैं


जुर्म होता देख जो कल चादरों को तान लिए
मरे हुए लोग हैं वो, आप कहते जिंदा हैं


 कुछ गये,कुछ लुटे, कुछ मरे कुछ लापता
जो थोड़े से बचे हैं मुआवज़े तक ज़िंदा हैं


 कल गया तहसील में हैरान बाबू ने कहा
आप तो कब के मर चुके हैं आप कैसे ज़िंदा हैं


 क्या कहूं क़ानून और रिश्वत में कितनी यारियां
सरकारी कागजों में कत्ल लोग सच में ज़िंदा हैं


 ज़िल्लत, जी हुजूरी, बेबसी, रहमोकरम
इस तरह जीना है तो करोड़ों लोग ज़िंदा हैं


 जब से मेरे बारे में अफवाह का पर्दाफाश हुआ
हृदयाघात हुआ है उनको हम अभी भी ज़िंदा हैं


 कौन कहता है कि मर गये है ‘पवन’

उनकी रचनाएं तो अभी ज़िंदा हैं  


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com


ये बारिश तन गीला कर दे


























ये बारिश तन गीला कर दे
ये बारिश मन गीला कर दे
जम के बरस रही है बारिश
जैसे रग - रग गीला कर दे

सब कुछ गीला – गीला कर दे
आसमान को नीला कर दे
दादुर भी अब सरगम गायें
सब कुछ शीतलतम कर दे

गर्मी को झट विदा ये कर दे
मौसम मस्त सुहाना कर दे
मीठी नींद है आने लागे
चारो तरफ हरियाली कर दे

सब कुछ धुला – धुला सा कर दे
तरु,पल्लव,पथ स्वच्छ ये कर दे
धूल – धूसरित चर - अचर को
ये बारिश सब चकमक कर दे

अटकी आशा पूरी कर दे
कितने दुखों को दूर ये कर दे
खग ,किसान और जीव-जन्तु सब
सबके जीवन सुखमय कर दे

गन्दगी को स्वच्छ ये कर दे
प्रदूषणों से मुक्त ये कर दे
उड़ते जहरीले धुओं को
ये बारिश औकात में कर दे

ये बारिश तो मंगल कर दे
जंगल में भी मंगल कर दे
पतित पावनी प्रकृति ये बारिश
सब कुछ पावन-पावन कर दे


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com

सोमवार, 26 जून 2017

हुस्न की बात चली,ऐतराज किये सब लोग

तीन मुक्तक

कल तलक जो खास थे दुश्वार हो गये.
वो ही हमारे दरमियाँ दीवार हो गये.
कल तक जो भाई ,चचा और परिवार थे.
सौदा हुआ जो स्वार्थ का पटीदार हो गये .

हुस्न की बात चली,ऐतराज किये सब लोग .
शरीफ सन्त शहर के हो गये सब लोग .
हुस्न जब सामने हुआ नाज़िल.
शरीफ सन्त फिसल गये सब लोग.

हुस्न को भला-बुरा कहते हैं जो लोग
सबसे ज्यादा फ़िदा हैं हुस्न पे वो लोग
अंधेरी रात में मिल जाये हुस्न गर उनको
सुबह तक जिन्दा नहीं छोड़ेंगे ये लोग

न तुझे मेरे साथ चलना था

















न तुझे मेरे साथ चलना था 
न मुझे तेरे साथ रहना था
मगर हालात ऐसे थे कि
हमको साथ रहना था

न तुझको प्यार करना था
न मुझको प्यार होना था
मगर हालात ऐसे थे
कि हमको प्यार करना था

न तुझको माँ ही बनना था
न मुझको बाप बनना था
मगर बच्चों की किस्मत में
हमें माँ बाप बनना था

न तुमको सास बनना था
न मुझको ससुर बनना था
मगर बहुओं की किस्मत में
हमें सास- ससुर बनना था

न तुझको ये न मुझको वो
न करना था न बनना था
मगर किस्मत में लिक्खा जो
वो करना था,वो बनना था


जो होना है वो होता है 

कोई कुछ भी नहीं करता
बस भ्रम होता है करने का
जो करता है खुदा करता
पवन तिवारी
सम्पर्क - ७७१८०८०९७८ 
poetpawan50@gmail.com



















पानी



















पिछले दिनों मैंने सुना

मेरे लिए विश्व युद्ध होगा

दुनिया भर के मनुष्यों का आपस में

मुझ पर अधिकार के लिए जानलेवा झगड़ा

इतिहास में सबसे अधिक झगड़े सुन्दर स्त्री के लिए हुए

भारत में आल्हा - रुदल , पृथ्वीराज का इतिहास

नहीं पढ़ाया जाता , पर वे मिथकों में, जन श्रुतियों में,

लोक जीवन की कथाओं में उम्दा पात्र हैं

सीता के कारण लंका

और द्रौपदी के कारण महाभारत का युद्ध हुआ

पर मेरे कारण विश्व युद्ध होगा

सुनकर विश्वास नहीं होता

क्या मैं स्त्री से भी महत्वपूर्ण हूँ ?

क्योंकि हर महत्वपूर्ण और महान कार्य में

 कहीं न कहीं एक कारक स्त्री होती है.

क्या मैं स्त्री हूँ ?

मैं कई दिनों से इसी सोच में डूबा हूँ.

शायद आदमी को लगता है ,

अब मैं उसे प्यार नहीं करता.

पर मैंने तो उसे हर किसी से अधिक प्यार किया है

स्त्री से भी अधिक,

हाँ , स्त्रियों में माँ का प्यार सर्वोत्तम

पर मेरा प्यार उस माँ से भी कम नहीं

जहाँ माँ भी नहीं होती ,

वहां भी मैं होता हूँ.

मैं तो माँ में भी होता हूँ ,

उसके सुख - दुःख के आंसुओं में भी

आदमी के ग्रहण करने से लेकर, त्यागने तक

उसके दूध से लेकर , पेशाब तक

उसके शौच से ,लेकर नहाने तक

उसके खाने से लेकर, पीने तक

उसकी मेहनत के पसीने तक

यहाँ तक कि,

उसके रक्त और लार में भी,

उसके साथ रहता हूँ

आदमी जानता हैमैं नहीं तो वो नहीं

फिर भी उसने कभी मेरे बारे में

गम्भीरता से  नहीं सोचा

मैं जीवन से प्यार करता हूँ

और आदमी सिर्फ खुद से प्यार करता है.

उसने सदा मेरा अपमान किया ,

मुझे दर - बदर किया. 

मेरे हर सुन्दर रूप की हत्या की

पेड़ों की , जंगल की , कुओं की ,

तालाबों की , नदियों कीमिट्टी की ,

खाड़ी और समुद्र को भी नहीं बख्शा ,

उसने मेरे जीवन के हर द्वार बंद कर दिए

यहाँ तक कि घर के नाभदान को भी कंक्रीट कर दिया

ताकि मैं जरा भी छुपकर धरती की गोंद में भी न रह सकूँ

मैं तो चाहता हूँ धरती की गोंद में रहना ताकि

आदमी  बुरे वक्त में मेरा इस्तेमाल कर सके

पर उस सम्भावना को भी उसने खत्म कर दिया है.

जब  आदमी लड़ेगा मेरे लिए युद्ध

तब भी मुझे पाने की लालसा में

मेरा ही कत्ल कर रहा होगा ,

क्योंकि मेरे बिना उसका अस्तित्व ही नहीं है

मुझे बचाएगा ,तभी आदमी भी बचेगा

अभी भी वक्त है सँभल जा ऐ आदमी

तूने अभी तक मेरा प्यार देखा है

मेरी नफरत देखने की तुझमें हिम्मत नहीं है

तूं क्या युद्ध करेगा ? उसके लिए भी

शरीर में मेरा होना जरुरी है

आज मैं '' पानी '' ये ऐलान करता हूँ

अब मैं तुम्हारी सेवा  या तुम्हें ''सेव'' तब तक नहीं करूँगा

जब तक तुम  खुद मेरी ''सेवा'' या मुझे ''सेव'' नहीं करोगे

मैं ''पानी'' आज ऐलान करता हूँ

पवन तिवारी

सम्पर्क-7718080978

 



रविवार, 25 जून 2017

वक्त बुरा हो तो क्या नहीं होता












वक्त बुरा हो तो क्या नहीं होता

होता वो है जो कभी सोंचा नहीं होता


 तकाज़ा वक़्त का होता है कुछ और नहीं

वरना कोई दुश्मन कोई दोस्त नहीं होता 


जिस पर भरोसा है कि अपना है

जरूरत पर वही अपना नहीं होता


आप को लगता है ये काम तो हो ही जाएगा

मगर होते-होते भी वो काम नहीं होता 


बुरा वक़्त कुछ भी नहीं एक सच्ची नसीहत है

सारे रिश्ते क्या दोस्त भी काम का नहीं होता 


बुरा न मानना माँ–बाप तक की नज़र बदल जाती है

वक़्त  खिलाफ़ हो तो कोई किसी का नहीं होता 


कर्म ही धर्म है जो सदा साथ होता है

बुरे वक़्त में और कोई साथ नहीं होता 


पवन तिवारी

सम्पर्क - 7718080978

poetpawan50@gmail.com