यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 10 अप्रैल 2017

तुमसे हुआ जो प्यार तुमसे होके रह गया




तुमसे हुआ जो प्यार तुमसे होके रह गया  
किसी काम का रहा ना मैं काम से गया
सुबह से गया मैं शाम से गया
ऐसे लगा के जैसे मैं  हर काम से गया


मदमस्त नींदें गई,चायवाला स्वाद गया
रात सूनी–सूनी गई,दिन बेकरार गया
पल भर की खुशियाँ मिली
दिल में से जान गया


ख्वाब तुमसे मिलने का मैं देखता रहा
तुम मिलोगी इक दिन राह तकता रहा
जब से देखा तुमको तुम्हारा ही होक रह गया
प्यार में तुम्हारे आवारा ही होक रह गया


फिर ना कोई तब से नज़रों में मेरे समाया
प्यार तो रहा मगर इकरार रह गया
दिल हुआ बेकरार बेकरार होके रह गया
तुम आओगी आने का इंतज़ार होके रह गया

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क - 7718080978  


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