यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

दरवाज़ा खोल देंती हैं आने से पहले

दरवाज़ा खोल देंती हैं आने से पहले
मैं भी चला आता हूँ बुलाने से पहले

रोशनी को मेरा घर पसंद था बहुत
मेरे दिल का दीपक बुझाने से पहले

मेरे घर पे उनका आना जाना बहुत था
मेरी हैसियत को आजमाने से पहले

बड़ी इज्जतें मुझको देती थीं वो भी
मुहब्बत में मुझको गिराने से पहले

बहुत ठोकरें खाकर संभला हूँ मैं अब
आखें भीगी बहुत मुस्कराने से पहले

मेरा हँसता हुआ घर था परिवार था
अपनों ने मेरा घर जलाने से पहले

मैं भी मासूम सीधा सा था आदमी
मेरे महबूब ने दिल जलाने से पहले

आलीशान मकाँ मेरा देखते सभी अब
खूब बेज्जत हुए थे कमाने से पहले

जग से विश्वास उठ सा गया थापवन
आप से प्यार में दिल लगाने से पहले

सम्पर्क - 7718080978
poetpawan50@gmail.com

  

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