यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 2 अप्रैल 2017

उसको चढ़ा नशा है



























उसको चढ़ा नशा है जी प्यार की तरह
पानी   परोसती है तो  शराब  की तरह 

सरकार की तरह सुनता नहीं ये प्यार
करता है फ़क़त अपनी थानेदार की तरह

उसकी   अदा का भी  कोई  जवाब नहीं है

इनकार भी करती है तो इकरार की तरह



पत्नी कि प्रेमिका,कि दोस्त है कि क्या 

वो डांटती भी है तो माँ - बाप की तरह


मिलता हूँ जब भी उससे,बस खो सा जाता हूँ

मुझको   दिखाई   देती   है वो ख्व़ाब की  तरह


अपने दुखों की हर ख़बर कुछ यूँ छुपाती है

लगती  है शक्ल   उसकी   अखबार  की  तरह


अपनों  ने उसके  साथ में व्यवहार यूँ किया

हर रिश्ते को अब समझे वो बाज़ार की तरह


कुछ इस अदा से कहती है मैं मान लेता हूँ


वो झूठ  भी  कहती है सत्यवान  की  तरह



poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क- 7718080978

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें