अपनी
निगाहों में गिर गया होता
जाने
वो कब का मर गया होता
उसकी
आँखों में वफादारी का नूर देखा तुमने
बस उसे
गद्दार कह देते तो मर गया होता
तुमने
छेड़ा तो अब अंजाम भी भुगतो वरना
छेड़ते
न तो चुपचाप चला गया होता
शुक्र
है तुम्हारी गलतियों का पिटारा खुला नहीं अब तक वरना
तुम्हारा
हाल ना जाने क्या से क्या हो गया होता
तुम्हारा
भी सितारा बुलंदी पर होता
तुम्हारे
साथ कुछ दिन और रह गया होता
पवन
तिवारी
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क-7718080978
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