ओह किस तरह से है गाँव को शहर नें निगला
कल तक का मासूम सच आज बेमुरव्वत झूठा है
सच को ढोते-ढोते जिसके कंधे झुक गए हैं
ऊँचे कंधे वाले आज उसको कहते झूठा है
झूठों में सच्चा बनने की होड़ लगी है चारो ओर
कहता है हर झूठा दूजे झूठे से मैं सच्चा तूं झूठा है
मतलब का दस्तूर
चल रहा इस बाजारी दुनियां में
ना कोई पूरा सच्चा ही है ना कोई पूरा झूठा है
शक की नज़रों से तुम कब से देख रहे हो दुनिया को
खुद पर भी शक करके देखो कौन सच्चा कौन झूठा है
पवन तिवारी
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-7718080978
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