दोस्तों की जो देखी कारगुजारियाँ तो
दुश्मन बुरे नहीं हैं ये ख्याल आया
आजकल दोस्त कुछ इस अदा से मिलते हैं
कि दुश्मनों से दोस्ती को जी चाहता है
साथ इक दोस्त ही तो था न जिससे खून का रिश्ता
वो रिश्तेदार ही तो थे जो मुझको घेर कर मारे
नाते-रिश्तेदार जहाँ सब छूट जाते हैं
वहीं से दोस्त आकर खाली दामन थाम जाते हैं
खून के रिश्ते से जो बातें बयाँ करने से डरते
वही बातें दोस्तों संग हम हँस-हँस कर करते हैं
खून के रिश्ते तो आसमानी हैं मगर
फक्र है दोस्ती का रिश्ता हम खुद ही बनाते हैं
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