यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 21 जनवरी 2017

कुछ मित्रता पर ताज़ा शेर



दोस्तों की जो देखी कारगुजारियाँ तो 
दुश्मन बुरे नहीं हैं ये ख्याल आया 

आजकल दोस्त कुछ इस अदा से मिलते हैं 
कि दुश्मनों से दोस्ती को जी चाहता है 

साथ इक दोस्त ही तो था न जिससे खून का रिश्ता 
वो रिश्तेदार ही तो थे जो मुझको घेर कर मारे 

नाते-रिश्तेदार जहाँ सब छूट जाते हैं 
वहीं से दोस्त आकर खाली दामन थाम जाते हैं 

खून के रिश्ते से जो बातें बयाँ करने से डरते 
वही बातें दोस्तों संग हम हँस-हँस कर करते हैं 

खून के रिश्ते  तो आसमानी हैं मगर 
फक्र है दोस्ती का रिश्ता हम खुद ही बनाते हैं 

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