बाल कविता .....
‘बरखा बादल’
काले बादल, नीले
बादल,उड़ते रहते हैं ये बादल.
न्यारे
बादल,प्यारे बादल, पानी भर-भर लाते बादल.
मेघा आते,बरखा
लाते, तपती अवनि शीतल कर जाते.
नाले,तड़ाग सब भर
जाते,दादुर मीठे स्वर में गाते .
मोर नाचते मस्त
हो बन में,कृषक चलाते हल खेत में.
चारो तरफ
हरियाली छाई,बरखा आई-बरखा आई.
रिमझिम–रिमझिम
बरखा आती,तन-मन को गीला कर जाती.
समय-समय पर आते
बादल,बरखा कर चले जाते बादल.
कभी-कभी तपती
धूप में,सूरज को ढक जाते बादल.
अल्प समय के लिए
भले पर,छाँव हमें दे जाते बादल.
मस्त पवन के साथ
ए उड़ते,सदा नील अम्बर में रहते.
काले-बादल-नीले
बादल, गरजने–बरसने वाले बादल.
पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978/9920758836
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