यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

बाल कविता.....बरखा बादल

 बाल कविता .....

       ‘बरखा बादल’

















काले बादल, नीले बादल,उड़ते रहते हैं ये बादल.
न्यारे बादल,प्यारे बादल, पानी भर-भर लाते बादल.

मेघा आते,बरखा लाते, तपती अवनि शीतल कर जाते.
नाले,तड़ाग सब भर जाते,दादुर मीठे स्वर में गाते .

मोर नाचते मस्त हो बन में,कृषक चलाते हल खेत में.
चारो तरफ हरियाली छाई,बरखा आई-बरखा आई.

रिमझिम–रिमझिम बरखा आती,तन-मन को गीला कर जाती.
समय-समय पर आते बादल,बरखा कर चले जाते बादल.

कभी-कभी तपती धूप में,सूरज को ढक जाते बादल.
अल्प समय के लिए भले पर,छाँव हमें दे जाते बादल.

मस्त पवन के साथ ए उड़ते,सदा नील अम्बर में रहते.
काले-बादल-नीले बादल, गरजने–बरसने वाले बादल. 


 








पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978/9920758836

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