उसने ढूंढा सलीका झूठ कहने का बड़े करीने से.
ये अलग बात है कि गला सूखा,चेहरा भर आया पसीने से.
हम भी जानते हैं जमानें की रवायत
ये सच है, ये सच है, ये सच है, कहने से, सच नहीं बदलता
जब हम कुछ करते हैं तब हंगामा होता है.
अजीब बात है जब कुछ नहीं करते तो और होता है.
उसने मुझको जो बुलाया तो बुलाया होगा.
जरुर किसी आईने से टकराया होगा.
तुम भी,ये भी,वो भी,वो भी और वो भी खुदा के बन्दे .
फिर उस मजलूम का घर किसने जलाया जलाया होगा.
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