यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 1 सितंबर 2016

गणेश जी हैं गंगा जी के पुत्र और शुभ-लाभ हैं गणेश पुत्र

पाठकों ,मित्रों गणेश चतुर्थी अर्थात गणेशजी की वर्षगाँठ आने वाली है.गणेश जी की वर्षगाँठ प्रतिवर्ष भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. हमारी मुंबई तो गणेशोत्सव के लिए जग विख्यात है. तो आइये जाने मेरे शब्दों में गणेश जी के जन्म की अनोखी कहानी....


  

आज तक अधिसंख्य लोग या आम जनमानस में यही धारणा रही है कि गणेश जी माता पार्वती के पुत्र हैं परन्तु एक सच ये भी है कि गणेश जी गंगा माता के पुत्र हैं. एक बार पार्वती जी अपने शरीर का मैल छुड़ाकर उसका पिंड फिर मूर्ति बनाई. पर उसमें प्राण नहीं डाल सकी. गंगा जी यह देख रही थी.वे पार्वती जी से बहुत स्नेह रखती थी.उन्हें अपनी सहेली या बहन मानती थी.ऐसे में पार्वती जी ने वह मूर्ति गंगा में डाल दी.पतित पावनी जीवनदाई माँ गंगा के जल में डूबते ही उस निर्जीव मूर्ति में जीवन का संचार हो गया और वह उसी क्षण  गणेश जी का विशालकाय शरीर हो गया. इस विशाल रूप में देखकर पार्वती जी ने गणेश जी को पुत्र कहकर बुलाया. गंगा जी ने भी गणेश जी को पुत्र कहकर पुकारा. इसलिए गणेश जी का एक नाम गांगेय है और इसीलिये उन्हें द्विमात्रि भी कहा जाता है. गणेश जी का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की दोनों बेटियों रिद्धि और सिद्धि से हुआ.जिनसे गणेश जी को दो पुत्र पैदा हुए, शुभ और लाभ. अक्सर शुभ कर्मों के प्रारम्भ में शुभ-लाभ लिखते हैं.ये शुभ और लाभ गणेश जी के पुत्र हैं.

वैसे गंगा का पुत्र होने के कारण भीष्म को भी गांगेय कहा जाता है. गंगा जी कार्तिकेयजी की भी माता हैं.

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