तुम को देखा तो उठी मन में
दुआ है
प्रेम में अवगाहने का मन
हुआ है
वे की महिमा या कि है
कंदर्प की
दृष्टि में तुम और सावन ने
छुआ है
अब्ज सी आभा लिए आनन हुआ है
जीने का जैसे नया साधन हुआ
है
है अनोखा नवल अनुभव क्या
कहूँ
सोचता हूँ भाव से साजन हुआ
है
रोम पुलकित रति मिला भेषज
हुआ है
भूल सारा ज्ञान बस देसज हुआ
है
धमनियों की गति बढ़ी सी लग
रही है
उर का स्पंदन भी कुछ तेजस
हुआ है
अब तुम्हारा जोहना भारी हुआ है
धैर्य मुझको शब्द ज्यों
गारी हुआ है
प्रेम की आसक्ति अद्भुत
शक्ति है
ये प्रतीक्षा का समय आरी हुआ है
पवन तिवारी
२७/०५/२०२३
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