यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 31 मई 2023

तुम को देखा तो उठी मन में दुआ है

तुम को देखा तो उठी मन में दुआ है

प्रेम में अवगाहने का मन हुआ है

वे की महिमा या कि है कंदर्प की

दृष्टि में तुम और सावन ने छुआ है

 

अब्ज सी आभा लिए आनन हुआ है

जीने का जैसे  नया  साधन हुआ है

है अनोखा नवल अनुभव क्या कहूँ

सोचता हूँ  भाव  से  साजन हुआ है

 

रोम पुलकित रति मिला भेषज हुआ है

भूल सारा ज्ञान बस देसज हुआ है

धमनियों की गति बढ़ी सी लग रही है

उर का स्पंदन भी कुछ तेजस हुआ है

 

अब  तुम्हारा  जोहना भारी हुआ है

धैर्य मुझको शब्द ज्यों गारी हुआ है

प्रेम की आसक्ति अद्भुत शक्ति है

ये प्रतीक्षा का समय  आरी हुआ है

 

पवन तिवारी

२७/०५/२०२३

 

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