हम कहानी में ऐसे समेटे गये
बाँह में जैसे धागे लपेटे गये
अपनी छोटी मगर भूमिका महती थी
छोटे बिन गलती के भी चपेटे गये
कान बहुधा सभी अंगों से छोटे थे
गलती दूजे करें पर उमेटे गये
हम थे त्रुटिहीन फिर भी उठाये गये
नेत्र के शस्त्र से भय दिखाये गये
थी सभा छात्रों की हम भी मासूम थे
बस अकारण उठाये - बिठाये गये
कल तलक अनवरत सा वहीं क्रम रहा
हमको अपमान के पथ दिखाये गये
हमने सोचा भला क्यों सताये गये
ज़िन्दगी में अकारण भगाये गये
अब जो प्रतिकार का मैनें निर्णय लिया
अहं कितनों के ही लतियाये गये
शत्रु हैं अब बहुत मित्र उंगली पे हैं
जब से सच वाले दर्पण दिखाये गये
मित्रता शत्रुता हम जताते गये
कौन अपना पराया बताते गये
जिंदगी में कठिनता बढ़ा भय भी था
हँस के संघर्ष को हम सताते गये
ऐसे आनंद जीने का था बढ़ गया
हर्ष के साथ संकट उठाते गये
पवन तिवारी
१९/१२/२०२२
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