प्रेम कोई प्रबंधन
नहीं
प्रेम है कोई बंधन नहीं
है ये संबंध अनुराग का
प्रेम विक्रय का है धन नहीं
मति की सहमति से ये पथ बने
हों समर्पण से रिश्ते घने
सुख मिले साथ संतोष भी
किस्से हों प्रेम में सब
सने
कोई छोटा न कोई बड़ा
प्रेम का हो समादृत घड़ा
हो परस्पर में शुभकामना
फिर हो जीवन में हीरा जड़ा
इस तरह जिंदगी जो जिये
प्रेम का वो ही अमृत पिये
शेष केवल कथानक ही तक
कहने को ये किये वो किये
पवन तिवारी
२२/१०/२०२२
प्रेम को सरल और सहज शब्दों में जीवंत करना कोई आपसे सीखे पवन जी।चवन्नी के मेले में प्रेम की अनुगूँज बहुत प्यारी है।सच में प्रेम कोई व्यापार नहीं ये कोई सोची समझी फसल नहीं।खरपतवार की तरह स्वत उगने वाली आत्मीयता की अनमोल बूटी है।सुन्दर रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर आपको सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🎊🎊🎉🎉🎀🎀🎁🎁🌺🌺♥️🌹🙏
धन्यवाद रेणु जी, दीपावली की आप को सपरिवार अनेकानेक मंगलकामनायें
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