वह दृश्य बड़ा आकर्षक
था
तुम
छवि गृह छवि मैं दर्शक था
तुम्हें
देखा
भेंट हुई न सही
मेरा
प्रयास
तो भरसक था
वह पहला भाव
सुरक्षित है
तुम्हरे
ही लिए आरक्षित है
हिय
का मध्यस्थल तब से ही
तुम्हरे
ही लिए संरक्षित है
तुम
मेरे पक्ष से परिचि
हो
या
पूरी तरह अपरिचित हो
जग के लिए
हो सकती सुंदर
मेरे
लिए तुम रति अर्चित हो
यह भाव अस्थिर
नहीं अचर
कैसी स्थिति परिवेश लचर
है प्रथम यही,
यही अंतिम है
साक्षी
हों नभ चर,जल,थल चर
पवन
तिवारी
०३/०८/२०२२
प्रथम दृष्टया प्रेम की सुक्ष्माभिव्यक्क्ति 👌👌👌🙏
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