तेरा
हिय ही मेरा आवास रहा
तू सदा
मेरे लिए ख़ास
रहा
नयन
पे एक छवि का कब्जा है
मेरे
सपनों में तेरा वास
रहा
ये
बदन चाहे
जितना दूर रहे
मन
तेरे दिल के आसपास रहा
तेरी
पलकों का मैं सितारा रहूँ
हर
घड़ी बस यही प्रयास रहा
तू
मिले तुझसे प्यार है कह दूँ
सामने
आयी तो ये काश रहा
जब
भी कहने को हौंसला बाँधा
आ गया कोई और त्रास रहा
इस
तरह उम्र बीतती ही रही
यूँ
मेरे प्रेम को वनवास रहा
तुझको
अवकाश कभी था ही नहीं
कितनी
ही बार तेरे पास रहा
पवन
तिवारी
०५/०८/२०२१
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