यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 6 जून 2022

तुम मेरे प्रेम में

तुम मेरे प्रेम में शामिल रहना

मेरी खुशियों में भी दाखिल रहना

ज़िंदगी में कभी मुड़कर देखूँ

ज़िंदगी में मेरी हासिल रहना

 

बिन लपेटे हुए ही तुम कहना

जैसे लगता हो वैसे ही रहना

सारे बोझे नहीं उठाने तुम्हें

जितना हो सहज उतना ही सहना

 

ज़िन्दगी दो है जो हमारी है

ज़िन्दगी तेरी मेरी यारी है

दोनों समझेंगे एक दूजे को

फिर तो ये और और प्यारी है

 

अब जो अतिरिक्त साथी का साया

लगता है वाह ख़ूब क्या पाया

एक साथी जो खुद से प्यारा है

उसको पाया तो प्रेम को गाया

 

 

सोचता हूँ कमाल कर डाला

कुछ नहीं करके प्यार कर डाला

सब जगह हार के भी खुश हूँ अब

प्यार पा जीत गीत कर डाला

 

पवन तिवारी

०४/०८/२०२१

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