तुम्हें
चाहा हमने तुम्हें प्यार किया
तुमने
हमें ऐसे कैसे
मार दिया
अपनी
ज़िंदगी दे दी हमने तुम्हें
तुमने
हमें ये सिला कैसे यार दिया
किस
बात का
कैसा बदला लिया
सावन
के मौसम में पगला दिया
दिल
के मामले में किया घपला तुमने
लोग
कैसे आज-कल के बतला दिया
मासूमियत का ठिकाना नहीं
दिल
खोल करके दिखाना नहीं
बहुत
मोल भारी मोहब्बत का है
हरगिज
अकेले चुकाना नहीं
देखो
सजग रहना
प्यार में भी
देखो नज़र
रखना यार पे भी
कोई
दगा का है निश्चित न दिन
पीने पड़े
आँसू खार
के भी
पवन
तिवारी
०७/०८/२०२१
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