है
जो शिद्दत तो उसको भी पा लीजिये
जिंदगी
के लिए भी दुआ कीजिये
हवस
ऐसी भी ना हो कि मर जाइये
थोड़ा
दम लीजिये थोड़ा खा लीजिये
रोते
रहते हैं अक्सर ये अवसर मिला
आज
अपनों में थोड़ा सा गा लीजिये
आप
अवरोधों पर ख़ूब अच्छा कहे
पाँव
अब तो डगर से हटा लीजिये
आप कहते
प्रशंसक हजारों में
हैं
आज
महफ़िल है खाली बुला लीजिये
इतनी
पीकर भी हैं आप प्यासे पड़े
आख़िरी
चाह है
सो बुझा लीजिये
पवन
तिवारी
२८/०७/२०२१
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