ज़िन्दगी दर्द
है दवाई है
बहुत
अच्छी बुरी जुदाई है
मौत
को लोग दोष हैं देते
ज़िन्दगी
में अधिक बुराई है
मौत
का खेल कुछ क्षणों का है
ज़िन्दगी की
बड़ी लड़ाई है
मौत
सम्मान माँ क्या जाने
ये
जीवन की सब कमाई है
वैसे
दीवारें गिरती रहती हैं
ज़िन्दगी ने मगर उठाई है
ज़िन्दगी
तू बहुत तिकड़मी है
हँसते हँसते करे
रुलाई है
जाते
जाते रुलाती है सबको
बहुत
सुंदर सी
बेवफाई है
ज़िन्दगी
को भला कहूँ क्या मैं
पसंद
सबको ये मिठाई
है
ज़िन्दगी
कितने रंग हैं तेरे
लगती
प्यारी कभी कसाई है
तुझको
देखा कई तरह से है
किन्त्तु
हर बार मुँह की खाई है
तेरा
कर्जा भी बड़ा
है आला
एक बस मौत
ही भरपाई है
तू
तो घर वाली मौत की ठहरी
तेरी उसके
ही संग बिदाई है
पवन
तिवारी
२७/०७/२०२१
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