थोड़ा
थोड़ा नीला है सागर तूफानी
थोड़ी
थोड़ी दूधिया है अपनी जवानी
चाँदनी
सी तुझमें भी दिखती है आशा
आजा
मिल लिखते हैं
दोनों कहानी
उमर
पे है रंग चढ़ गया थोड़ा धानी
मेरी
नज़र को तू दिखती जैसे है रानी
तुझे
कैसा दिखता बताना जरा
हिय
कह रहा तुझको कह दूँ मैं जानी
तुझमें
दिखे रंग मुझे
आसमानी
तेरे
अंदाज़ का ना है कोई सानी
तुझे
देख धड़कन की गति बढ़ती जाती
आ मिल बनाते
हैं संगम का
पानी
हमें एक
दूजे की कसमें
ना खानी
सहज
रहने देना है प्रेम
की रवानी
प्रेम अपनी
निजता का उत्कर्ष
है
हमें ये
कहानी न गानी
सुनानी
पवन
तिवारी
२३/०७/२०२१
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