यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 1 जून 2022

सर घूम रहा है

सर घूम रहा है  दिल  झूम  रहा है

तुम्हरे मिलने से  दिन  घूम रहा है

 

दिल गाने लगा है सर खाने लगा है

पास तुम्हारे हरदम अब जाने लगा है

 

कुछ पाने  लगा   है मुस्काने लगा है

सपनों में रह  रह  घबराने  लगा है

 

उससे   कहना  है  उसमें  रहना  है

समझोगी  बातें  मुश्किल  सहना है

 

पवन तिवारी  

२४/०७/२०२१

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