वक़्त
ने ज़िन्दगी की दिशा
मोड़ दी
ज़िन्दगी
में कहानी नयी
जोड़
दी
पहले से ही परेशानियाँ थी बहुत
रिश्तों
की सब पुरानी कड़ी तोड़
दी
अब नये लोग
हैं अब नया है नगर
हूँ
महल में मगर
याद आता है
घर
सारी
सुविधा यहाँ किन्तु सब अजनबी
ऐसे
वैभव में भी त्रासदी सा असर
इस
महामारी ने अपनापन लूटा है
छोटा
- छोटा कई ठो सपन टूटा है
लूटा
जग भर को इस बेरहम वक्त ने
हर
किसी का कोई ना कोई छूटा है
कैसे
- कैसे बुरे वक़्त भी बीते हैं
वक़्त
का ये जहर
साथ में पीते हैं
शिव
से अब सीखने की जरूरत बहुत
मिल
के फिर से नयी ज़िंदगी जीते हैं
पवन
तिवारी
१२/०९/२०२१
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