घने
- घने जरा कृष्ण से बादल
जरा
– जरा हल्के से काजल
सर
पर लिए टोकरी जल की
धरा
की
खटकाते हैं साँकल
इन्हें वायु का
संग मिले तो
दूर देश हो आते बादल
टिपटिप
रिमझिम ये गाते हैं
अम्बर पर
जब ये छाते हैं
आहट
पहले
से लग जाती
दल
बल संग जब ये आते हैं
मौसम
में यौवन भर जाता
बन-
ठनकर जब आते बादल
दामिनी
प्रेम से डांट लगाती
कभी
- कभी प्रचंड धमकाती
फिर
भी ये पक्के प्रेमी
हैं
रूह
धरा से मिल ही जाती
धरती
जल पाकर के
झूमें
धरा
पे जब झर जाते बादल
पवन
तिवारी
०३/०९/२०२१
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