यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 26 मई 2022

उसे धोखे मिले हैं

उसे  धोखे  मिले  हैं  पर नहीं  अफ़सोस  करता है

सँवारा  ज़िन्दगी  को  जोश  से  वो रोज करत्ता है

 

उदासी  पसरी  है  चारो  तरफ जब शीत के जैसी

वो इसमें भी सतत ही ज़िन्दगी की खोज करता है

 

कि  घायल  दिल पड़े बिखरे कराहें आह भरती हैं

वो  साँसे  जोड़ता  है  और लम्बी  डोर  करता है

 

वो  बेंचे  मूँगफलियाँ  और  फुटपाथों  पे  है  सोये

मिले जब  भी हँसी के लम्बे - लम्बे छोर करता है

 

गज़ब का आदमी है जब कभी महफिल में आये तो

उपस्थिति भर से महफिल को पवन मदहोश करता है

 

पवन तिवारी

२८/०६/२०२१   

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