उसे
धोखे मिले हैं
पर नहीं अफ़सोस करता है
सँवारा
ज़िन्दगी को जोश से वो
रोज करत्ता है
उदासी
पसरी है चारो
तरफ जब शीत के जैसी
वो
इसमें भी सतत ही ज़िन्दगी की खोज करता है
कि घायल दिल
पड़े बिखरे कराहें आह भरती हैं
वो साँसे जोड़ता
है और लम्बी डोर करता है
वो बेंचे मूँगफलियाँ और फुटपाथों पे है सोये
मिले
जब भी हँसी के लम्बे - लम्बे छोर करता है
गज़ब
का आदमी है जब कभी महफिल में आये तो
उपस्थिति
भर से महफिल को पवन मदहोश करता है
पवन
तिवारी
२८/०६/२०२१
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