सोच
कर प्यार हमने किया ही नहीं
प्यार
के बदले कुछ भी लिया ही नहीं
कोई
सौदा नहीं ये तो सम्बंध है
दोनों
ने पाया है
कुछ दिया ही नहीं
क्षमता
से भी अधिक दुःख को ढो जाता है
जिसको
होता है वो इसमें खो जाता है
है गजब ये अपरिचित को अपना कहे
कोई
करता नहीं ये
तो हो जाता है
इसकी
लत ऐसी है किसकी सुनता नहीं
अपने
आगे किसी को
भी गुनता नहीं
इसकी
गिनती दीवानों
में ऐसे नहीं
प्यार
खुद चुनता है कोई
चुनता नहीं
बतकही
ये नहीं बात
अनुभव की है
ये
कहानी असम्भव से सम्भव की
है
जो भी
सब कुछ लुटाने को तैयार हो
प्रेम की
डोली ऐसे ही
तद्भव की है
पवन
तिवारी
२७/०६/२०२१
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