मुझसे
तुम कभी प्रेम का अनुरोध करना
अपने
विश्वासों की मुझ पर डोर धरना
मेरे
अनुरोधों को ठुकराया भले है
फिर
भी तुम पर बहेगा
प्रेम झरना
भाव
पर किसका नियन्त्रण कब रहा है
चाहने
का दर्द बहुतों
ने सहा है
प्रेम
का मिलना न
मिलना नियति है
किन्तु
चाहत का सदा सागर बहा है
पथिक हूँ
मैं प्रेम का
सौभाग्य है
त्तुमको चाहा
राग का भी
भाग्य है
तुमने की अवहेलना
फिर भी मैं खुश
प्रेम में
जलना भी पावन
याज्ञ है
पवन
तिवारी
२५/०६/२०२१ प्रेम का अनुरोध करना
अपने
विश्वासों की मुझ पर डोर धरना
मेरे
अनुरोधों को ठुकराया भले है
फिर
भी तुम पर बहेगा
प्रेम झरना
भाव
पर किसका नियन्त्रण कब रहा है
चाहने
का दर्द बहुतों
ने सहा है
प्रेम
का मिलना न
मिलना नियति है
किन्तु
चाहत का सदा सागर बहा है
पथिक हूँ
मैं प्रेम का
सौभाग्य है
त्तुमको चाहा
राग का भी
भाग्य है
तुमने की अवहेलना
फिर भी मैं खुश
प्रेम में
जलना भी पावन
याज्ञ है
पवन
तिवारी
२५/०६/२०२१
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें