यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 26 मई 2022

मुझसे तुम कभी

मुझसे तुम कभी प्रेम का अनुरोध करना

अपने विश्वासों की मुझ पर डोर धरना

मेरे  अनुरोधों   को   ठुकराया  भले  है

फिर भी  तुम  पर  बहेगा  प्रेम  झरना

 

भाव पर किसका नियन्त्रण कब रहा है

चाहने   का   दर्द   बहुतों  ने  सहा  है

प्रेम  का  मिलना  न मिलना नियति है

किन्तु  चाहत  का  सदा  सागर बहा है

 

पथिक  हूँ  मैं   प्रेम   का   सौभाग्य  है

त्तुमको  चाहा  राग  का  भी  भाग्य है

तुमने  की अवहेलना  फिर भी मैं खुश

प्रेम   में  जलना  भी  पावन  याज्ञ  है

 

पवन तिवारी

२५/०६/२०२१   प्रेम का अनुरोध करना

अपने विश्वासों की मुझ पर डोर धरना

मेरे  अनुरोधों   को   ठुकराया  भले  है

फिर भी  तुम  पर  बहेगा  प्रेम  झरना

 

भाव पर किसका नियन्त्रण कब रहा है

चाहने   का   दर्द   बहुतों  ने  सहा  है

प्रेम  का  मिलना  न मिलना नियति है

किन्तु  चाहत  का  सदा  सागर बहा है

 

पथिक  हूँ  मैं   प्रेम   का   सौभाग्य  है

त्तुमको  चाहा  राग  का  भी  भाग्य है

तुमने  की अवहेलना  फिर भी मैं खुश

प्रेम   में  जलना  भी  पावन  याज्ञ  है

 

पवन तिवारी

२५/०६/२०२१   

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