यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 26 मई 2022

कितने भौतिक अवरोधों से

कितने  भौतिक   अवरोधों  से

कितने ही दैहिक  त्रास   मिले

इस मध्य अल्प सी शान्ति मिली

साथी  के  रूप  में  आप मिले

 

साथी   औषधि   से   होते  हैं

हमको  थोड़े  जब  ख़ास मिले

मन की  रुग्णता  विलीन  हुई

कई हाथों के  जब साथ  मिले

 

दुःख पर सुख  सा  चढ़ बैठे वे

जब  उनको  मेरे  हाल  मिले

आनन्द है  कितना बढ़ जाता

आपस में अगर  ख़याल मिले

 

हारते     हारते    जीते    हैं

जब जब मित्रों के हाथ मिले

साथी  रखना  थोड़े ही सही

पर  हों  जैसे  परिवार मिले

 

पवन तिवारी

३०/०६/२०२१  

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