कितने
 भौतिक   अवरोधों  से 
कितने
ही दैहिक  त्रास   मिले 
इस
मध्य अल्प सी शान्ति मिली 
साथी
 के  रूप  में
 आप मिले 
साथी
  औषधि   से   होते 
हैं 
हमको
 थोड़े  जब  ख़ास
मिले
मन
की  रुग्णता  विलीन  हुई
कई
हाथों के  जब साथ  मिले 
दुःख
पर सुख  सा  चढ़ बैठे वे 
जब  उनको  मेरे  हाल
 मिले 
आनन्द
है  कितना बढ़ जाता 
आपस
में अगर  ख़याल मिले 
हारते
    हारते    जीते    हैं 
जब
जब मित्रों के हाथ मिले 
साथी
 रखना  थोड़े ही सही 
पर  हों  जैसे  परिवार
मिले 
पवन
तिवारी 
३०/०६/२०२१
 
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