पुरुष
गद्य है कविता नारी
उसमें
भी कर्षण है भारी
इसीलिये
सबके अधरों पे
कविता
झूमें बारी बारी
जो भी
लेखन में आता
है
पास
वो कविता के जाता है
कथा
कहानी याद है किसको
पहले कविता
को गाता है
कविता
का सौन्दर्य अलग है
गद्य
कथानक अलग-थलग है
सर्वाधिक
हैं कवि सम्मेलन
उसमें झूमें संग अलक है
किन्तु
कहीं जब बड़ी लड़ाई
बात
बहस औ तर्क की आयी
गद्य
वहाँ पर
खड़ा हुआ है
उसने
है तब लाज बचाई
दोनों का
अपना महत्त्व है
आकर्षण
कविता का सत्व है
गद्य
का भी माथा ऊँचा है
उपन्यास का भी घनत्व है
पवन
तिवारी
शानदार
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