यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 22 मई 2022

तुम्हारे दर्द पर मरहम अगर मेरे गीत रखते हैं

तुम्हारे   दर्द   पर   मरहम   अगर  मेरे   गीत   रखते हैं

किसी  के   भाव  की   यदि  लाज   मेरे   गीत  रखते  है

तो मुझको लिखना चाहिए  और गाना अधर को चाहिए

किसी के प्रेम की  गरिमा अगर मेरे  गीत रखते रखते  है

 

विपत्ति  में  भी  सुन  के  गीत  यदि  कुछ  धीर रखते है

किसी  व्याकुल व्यथित मन की कहीं यदि  पीर रखते हैं

तो  फिर  संतोष  होगा  अपने  लिखने  पर कहीं थोड़ा

किसी  की   आँख  में  यदि  हर्ष  के  कुछ  नीर रखते हैं

 

अगर  मेरे   गीत   कोई   सत्य   की  तस्वीर  रखते  हैं

राष्ट्र  के भाल  पर सैनिक कि  निज  तकदीर  रखते  हैं

तो  फिर  लिखना  जरुरी  है  सतत  लिखना जरुरी है

किसी  मजदूर  के  श्रम  की  कि  सच्ची  पीर  रखते  हैं

 

पवन तिवारी

१/०६/२०२२

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें