सपनों
में भी अन्धेरा
है
दुःख
ने चहुँ दिशि से घेरा है
फिर
भी युद्ध निरंतर जारी
क्योंकि
साहस का डेरा
है
लोग
पूछते क्या तेरा है
सब कहते मेरा मेरा है
सबकी
नीति हड़पने की पर
कहते
माया का फेरा है
अनैतिकों
में भी हैं खुश सब
झूठी
शपथ ले करते रब रब
ऐसे
में सच का ध्वज लेना
लगता
अंत अभी है, है अब
फिर
भी धर्म कहे है बढ़ जा
सत्य
पताका लेकर चढ़ जा
सत्य
के पथ पर मृत्यु वरण हो
गर्व
की बात है लड़ जा लड़ जा
पवन
तिवारी
३१/०५/२०२१
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