यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 18 मई 2022

सपनों में भी अन्धेरा है

सपनों  में   भी   अन्धेरा  है

दुःख ने चहुँ दिशि से घेरा है

फिर भी युद्ध निरंतर जारी

क्योंकि  साहस  का  डेरा है

 

लोग  पूछते   क्या  तेरा  है

सब  कहते   मेरा   मेरा  है

सबकी नीति हड़पने की पर

कहते  माया   का   फेरा है

 

अनैतिकों  में भी हैं खुश सब

झूठी शपथ ले करते रब रब

ऐसे में  सच का ध्वज लेना

लगता अंत अभी है, है अब

 

फिर भी धर्म कहे है बढ़ जा

सत्य पताका लेकर चढ़ जा

सत्य के पथ पर मृत्यु वरण हो

गर्व की बात है लड़ जा लड़ जा

 

पवन तिवारी

३१/०५/२०२१  

 

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