यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 23 मई 2022

खिड़की से पार

खिड़की से पार  देखने  का  ख़ूब शौक है

अपने ही घर के मामले  से  जाता दूर है

 

सब ही  ईमानदार  हैं सब  ही शरीफ़ हैं

मौके  तलक  की देर है फिर लूट  लूट है

 

काबिलियत तो ठीक है सीना भी ठोके है

पकड़े गये तो  कहते हैं छूटती सी चूक है

 

अपना  वतन  महान है और गर्व ख़ूब भी

राशन  के  कार्ड तक के लिए देता घूस है

 

वो मर्द  कहे  और  अदा है  कि इस क़दर

कहता है कैसे निकलूँ  मैं  बाहर में धूप है

 

पवन तिवारी

११/०६/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें