खिड़की
से पार देखने का ख़ूब
शौक है
अपने
ही घर के मामले से जाता दूर है
सब
ही ईमानदार हैं सब ही
शरीफ़ हैं
मौके
तलक की देर है फिर लूट लूट है
काबिलियत
तो ठीक है सीना भी ठोके है
पकड़े
गये तो कहते हैं छूटती सी चूक है
अपना
वतन महान है और गर्व ख़ूब भी
राशन
के कार्ड तक के लिए देता घूस है
वो
मर्द कहे
और अदा है कि इस क़दर
कहता
है कैसे निकलूँ मैं बाहर में धूप है
पवन
तिवारी
११/०६/२०२१
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