तुम्हें जो देखता मौसम, देखकर
मुस्कुराता है
ये बादल भी है दीवाना तुम्हें देखे तो गाता है
पवन तो मनचला है देख तुमको गुनगुनाता है
दुपट्टे को तुम्हारे
ये अचानक से
उड़ाता है
तुम्हारे अधर को ही देख भौंरा पास आता है
पुष्प से कर दगाबाजी तुम्हारी ओर जाता है
तुम्हारी आम बातों पे भी सबका ध्यान जाता है
परेशां आदमी भी देख तुमको सुकूँ पाता है
इसे सौन्दर्य सुन्दरता कहूँ या ना कहूँ फिर भी
तुम्हारे सब हैं दीवाने कहूँ या ना कहूँ फिर भी
कभी जो मिल सको तो चित्र खींचूँगा तुम्हारा मैं
इसी के साथ रह लूँगा समझ तुमको तुम्हारा मैं
पवन तिवारी
१४/०६/२०२१
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