यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 8 मई 2022

भय है पसरा

भय है पसरा उदासी छायी है

सब पे इक जैसी घड़ी आयी है

 

कहाँ मदद का हाथ बढ़ना था

कहाँ  पे  लूट  क़हर  ढायी है

 

आदमीयत की बाट सब करते

किन्तु दौलत यहाँ की माई है

 

साँस जाने को है कि अब उखड़ी

कुछ को उसमें  दिखे कमायी है  

 

साँस पर लाभ शर्म आती नहीं

परवरिश छीनने  की पायी है

 

अन्न के बिन भी पेट है भारी

पूरे दिन झूठी क़सम खायी है

 

पवन तिवारी

३०/०५/२०२१  

 

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