कागा
 बोला  नीम  पे  सुबह – सुबह में काँव
आने  वाले 
हैं घर में कुछ  मेंहमानों  के पाँव 
एक
प्रसन मैं पूंछू कागा सच सच है बतलाना 
आवारा
पशुओं से कब  तक मुक्त होयेगा गाँव
कागा
बोला बहुत  कठिन है दूजा प्रसन करो 
खेती
का कुछ  भी ना पूँछो  इसमें मरो मरो 
मैं
बोला चल ना पूँछा पर गड़ही का बतला 
कागा  बोला 
ये  मरेंगी  बोलूँ 
खरो – खरो
पेड़ों
का क्या होगा कागा बात बता इतनी 
तुम
ही खुद बिनास के कारण बात करो जितनी 
ऐसा
क्या बकता है कागा गुस्से में मैं बोला 
पर्यावरण
नास करते हो  और बताऊँ कितनी 
कुछ
दिन की है बात नगर सा यहाँ प्रदूषण होगा 
रक्तपात
भी राजनीति  के  चलते यहाँ भी होगा 
तुम
सब  भी 
सुविधा  हाथों  जल्द छले जाओगे 
तुम्हरी
फसलों में पोषण से अधिक कुपोषण होगा 
पवन
तिवारी 
२३/०४/२०२१
 
 
 
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