यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 2 मई 2022

कागा बोला नीम पे

कागा  बोला  नीम  पे  सुबह – सुबह में काँव

आने  वाले  हैं घर में कुछ  मेंहमानों  के पाँव

एक प्रसन मैं पूंछू कागा सच सच है बतलाना

आवारा पशुओं से कब  तक मुक्त होयेगा गाँव

 

कागा बोला बहुत  कठिन है दूजा प्रसन करो

खेती का कुछ  भी ना पूँछो  इसमें मरो मरो

मैं बोला चल ना पूँछा पर गड़ही का बतला

कागा  बोला  ये  मरेंगी  बोलूँ  खरो – खरो

 

पेड़ों का क्या होगा कागा बात बता इतनी

तुम ही खुद बिनास के कारण बात करो जितनी

ऐसा क्या बकता है कागा गुस्से में मैं बोला

पर्यावरण नास करते हो  और बताऊँ कितनी

 

कुछ दिन की है बात नगर सा यहाँ प्रदूषण होगा

रक्तपात भी राजनीति  के  चलते यहाँ भी होगा

तुम सब  भी  सुविधा  हाथों  जल्द छले जाओगे

तुम्हरी फसलों में पोषण से अधिक कुपोषण होगा

 

पवन तिवारी

२३/०४/२०२१

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