कुछ
में सितारों की झलक थी धूल
हो गये
कुछ
में झलक थी काँटों की वो फूल हो गये
इसको
समय या भाग्य मानें या कि कुछ कहें
जो सबके स्नेह
पात्र थे वे शूल हो
गये
कितनी
भी सफलता मिले
उदारता रहे
खुद
के ही साथ औरों को भी तारता रहे
जीते
हुओं के साथ तो रहती
ही भीड़ है
तुम
सच के साथ रहना भले हारता रहे
फिर
कभी ख़िलाफ़ समय तो भी गम नहीं
मित्र
इतने होंगे होके कम
भी कम नहीं
कितना
हो संघर्ष कितना दुःख भले आयें
किन्तु
दृग तुम्हारे कभी होंगे नम नहीं
पवन
तिवारी
२१/०४/२०२१
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