जाति
पे ही मतदान रहा है
स्वास्थ्य
पे कोई कभी कहा है
शिक्षा
पर मत कभी न पड़ता
भावनाओं में
बहा सहा है
डर का
वातावरण बना है
रोग
का कुहरा बड़ा घना है
चारो ओर
अश्रु चीत्कारें
अर्थ
की घायल पड़ी आन है
अब
जन स्वास्थ्य स्वास्थ्य चिल्लाते
सरकारों
पर दोष लगाते
हाय
निकम्मी सरकारें हैं
दफ़्तर
- दफ़्तर रोते गाते
जब मतदान का
मौसम आता
तब
कोई स्वास्थ्य न शिक्षा गाता
सबको
क्षणिक
स्वार्थ है भाता
पड़े
मुसीबत तब याद आता
तुम
सुधरोगे वे सुधरेंगे
तुम
बिखरोगे वे बिगड़ेंगे
पर्यावरण
स्वास्थ्य शिक्षण पर
अड़ो
नीति नेता बदलेंगे
पवन
तिवारी
२४/०४/२०२१
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