जिस माटी में पले बढ़े थे शीश नवाते श्याम थे
उस माटी के यमुना
माँ से ही होते सब
काम थे
गंगा पापों को हरती
हैं पतित पावनी कहलाती
मृत्यु के भय से
किन्त्तु बचाते माँ यमुना के नाम थे
माँ यमुना का जल बल पाकर कृष्ण ने शौर्य दिखाया था
ब्रह्म पुराण जगत जननी कह तुम्हरे गुण को गाया था
भाई दूज की गौरव माता यम
की परम दुलारी हो
धन्य है भारत जो तुम जैसी शील गुणी माँ पाया था
वेद व्यास तुम्हरी गोदी में जन्में
और महान हुए
शाम्ब तुम्हारे पावन जल
से जग में पुनः समान हुए
तुम अर्धांगिनी योगेश्वर की माँ सीता ने तुमको पूजा
बड़ा दुखी हूँ ऐसी
माँ के भी न सही
सम्मान हुए
पवन तिवारी
०५/०७/२०२१
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