यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 5 मई 2022

यश तुम्हारा

यश तुम्हारा  लोक  का यशगान होगा

गाँव  पोखर  संस्कृति  का  मान होगा

तुमको रचता लोक तुम रचाते नहीं हो

हर कथा  का  लोक  में  सम्मान  होगा

 

सब  तुम्हारे  गीत  गाता  गगन  होगा

उदगणों,शशि का हृदय भी मगन होगा

नेह  सिंचित  बात  होगी प्रकृति से भी  

शब्द  के  हर  नगर से प्रिय लगन होगा

 

इस तुम्हारे  स्वेद  पर  बलिदान होगा

एक  दिन  चारो  तरफ  अनुदान होगा

लोक को आशा से प्लावित नभ मिलेगा

कविता  के  स्वर  से भरा मैदान होगा

 

दुःख तुम्हारा क्रांति का इक तथ्य होगा

लेखनी   में   प्रेरणादायी   कथ्य  होगा

होगा ना साहित्य  भाषा व्यर्थ कुछ भी

एक दिन सब कुछ तुम्हारा पाठ्य होगा

 

पवन तिवारी

३०/०४/२०२१

 

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