यश
तुम्हारा लोक का यशगान होगा
गाँव
पोखर संस्कृति का मान
होगा
तुमको
रचता लोक तुम रचाते नहीं हो
हर
कथा का लोक में
सम्मान होगा
सब तुम्हारे गीत गाता गगन होगा
उदगणों,शशि
का हृदय भी मगन होगा
नेह
सिंचित बात होगी
प्रकृति से भी
शब्द
के हर नगर
से प्रिय लगन होगा
इस
तुम्हारे स्वेद पर बलिदान
होगा
एक दिन चारो
तरफ अनुदान होगा
लोक
को आशा से प्लावित नभ मिलेगा
कविता
के स्वर से
भरा मैदान होगा
दुःख
तुम्हारा क्रांति का इक तथ्य होगा
लेखनी में
प्रेरणादायी कथ्य होगा
होगा
ना साहित्य भाषा व्यर्थ कुछ भी
एक
दिन सब कुछ तुम्हारा पाठ्य होगा
पवन
तिवारी
३०/०४/२०२१
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