कभी
कभी जीवन से लगता जैसे बिछड़ गये
कभी
कभी यूँ भी लगता है जैसे बिखर गये
कभी
कभी ऐसा लगता इतिहास रचेंगे हम
कभी
कभी लगता है अपनी जड़ से उखड़ गये
कभी
कभी रोना आता है कभी हैं हँस पड़ते
कभी
कभी ऐसा होता है बिना बात लड़ते
कभी
कभी योजना बनाते हो जाता पर उल्टा
कभी
कभी जिन्हें समझें अपना उन आँखों में गड़ते
कभी
कभी औरों
का आँसू आँख देखकर भर आती
कभी
कभी अपनों से हिक़ारत औरों से जी नेह बाती
कभी
कभी कुछ अप्रत्याशित घटता सबके जीवन में
कभी
कभी अपने हिस्से की खुशियाँ कहीं और जाती
ये
सारी बातें मिल करके जीवन एक बनाती हैं
भिन्न
भिन्न घटनाएं मिलकर जीवन पुष्प खिलाती हैं
सो
जो भी मिलता लुटता है सहज भाव स्वीकार करो
फिर
देखो जिंदगी प्यार से कैसे तुम्हें हँसाती है
पवन
तिवारी
१८/०३/२०२१
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