जब भी उसे भुलाता
हूँ वो याद दिलाने आता है
गज़ब का रिश्ता रखता है वो प्यास बढ़ाने आता है
वैसे तो वो जान का प्यासा अदा
जान पे भारी है
घर वालों को देख के
मेरे हाथ मिलाने आता
है
लेने आता पोल
पता पर समझें दिलदारी है
बाबा जी की
तबियत कैसी इसी बहाने आता है
परधानी के निर्वाचन की
जब से हुई मुनादी है
कम्बल साड़ी बाँट के कहता
पुण्य कहाने आया
चैन से सोने को
कहता है उल्टा करने वाला है
नेता की भाषा ना समझे
नींद उड़ाने वाला है
परसों गाली आज तुम्हें वो थाणे पर पिटवाया है
नाटक की तैयारी
है कल नेह जताने
वाला है
पवन तिवारी
१५/०३/२०२१
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