यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 अप्रैल 2022

प्यार करते ही वो

प्यार करते  ही  वो  और  प्यारा  हुआ

ये अलग  बात  कि  वो  किनारा  हुआ

 

थोड़ा हट सा गया जग से कट सा गया

किन्तु इक दिल का सबसे दुलारा हुआ

 

घर के  रिश्ते  गये  घर  मोहल्ला गया

खुश है जंगल में कम क्या गुजारा हुआ

 

एक  रिश्ते  में  है  एक  रिश्ता  तो है

जो हमारा था  वो  तो  हमारा  हुआ

 

कोई कहता है  अच्छा हुआ मर  गया

प्रेमियों  की  नज़र  में  सितारा  हुआ

 

सबसे  महँगी  मोहब्बत  मेरे  पास है

कौन  कहता  है  कि मैं  बेचारा हुआ

 

पवन तिवारी

१२/०४/२०२१

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